जिंदगी बदल देने वाली चुनौती
जहां हम अपनी जिंदगी में पूरी तरह से फँस चुके हैं और हमें इस नर्क बनी जिंदगी से एक अद्भुत और चमत्कारी जिंदगी की ओर निकालने वाला वह हमारा परमेश्वर है। उसी ने ही हम सबके लिए बहुत सारे रास्ते बनाए हैं कि हम अपनी पुरानी जिंदगी को छोड़कर नई जिंदगी को पहन ले। अब इसमें अपनी पुरानी आदतों को बदलने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है एक मजबूत चुनौती लेना। क्योंकि अपनी पुरानी आदतों को छोड़ पाना इतना आसान नहीं है इसलिए हमें एक मजबूत और एक बड़ी चुनौती लेने की जरूरत है, जिससे कि हम पूरा भी कर सकें। और एक चुनौती में इतनी ज्यादा ताकत होती है कि आपकी पूरी जिंदगी को वह बदल के रख सकती है।
एक ऐसी चुनौती जो आपके रोज की एक कामों को बदल दे। आखिर क्या होती है चुनौती। आप क्यों और कैसे चुनौती को ले सकते हैं और अपनी जिंदगी को बदल सकते हैं। अब हम यही जानेंगे की एक जिंदगी बदल देने वाली सिर्फ एक चुनौती या एक मजबूत सोच क्या हो सकती है। हमारी जिंदगी में जब बहुत दुख होते हैं तो हम जबरदस्ती ही खुशी को चाहते हैं और हम दुनिया में से खुशी को ढूंढते हैं और वह हमें बहुत कम समय में और बहुत ही कम समय के लिए मिल भी जाती है। पर लेकिन अगर आप दुनिया से उम्मीद रखती हो कि यह आप को बदल दिया वह आप को बदल दे तो आपको कोई नहीं बोल सकता और ना ही कोई भी हमेशा के लिए आपको खुश रख सकता है।
पर अगर आपने खुशी को अपने अंदर ढूंढने की कोशिश की और एक चुनौती को स्वीकार किया तो निश्चय ही आपको खुश होने के लिए अपनी बाहर जाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। जब आप संघर्ष कर रहे हो उस समय एक चुनौती ही आपके काम आती है क्योंकि एक चुनौती के पास इतनी ज्यादा ताकत होती है, कि वह आपके सभी कामों को प्रतिबंध कर देती है और आपको हर दिन हर रोज और हर वक्त प्रेरित करती है।
चुनौती का मतलब
चुनौती को स्वीकार करने का मतलब होता है अपनी मुश्किलों को फाड़ देना। अपनी मुश्किलों से भागना नहीं बल्कि उनको खत्म कर देना क्योंकि जब तक आप हारने से डरते रहोगे, जब तक आप मुश्किलों से डरते रहोगे, और अपनी हार से भागते रहोगे इतनी देर तक सफलता भी आपसे दूर भागती रहेगी। इसलिए आपको सफल होने के लिए हार को हराना जरूरी है और उस हार को एक चुनौती के जरिए ही हराया जा सकता है। जिस क्षेत्र में आप संघर्ष कर रहे हैं उसमें चुनौती का मतलब अपनी मंजिलों को बदलना नहीं होता बल्कि अपनी मंजिल तक पहुंचने के तरीकों को बदलने के लिए आप चैलेंज को स्वीकार करते हैं। आखिरकार हम कह सकते हैं कि चुनौती होती है अपने मन को इतनी हद तक मजबूत बनाना कि मैं यह काम कर सकता हूं या मैं ही यह काम कर सकता हूं। एक चुनौती में इतनी ताकत होती है इतनी ऊर्जा होती है कि वह आपकी जिंदगी को बदल सकती है लेकिन अब यह बात आती है कि हम उस मजबूत मन को तैयार कैसे करें कि हम कोई भी चुनौती को स्वीकार कर सकें कि जिससे हमारी मुश्किल खत्म हो जाए।
हम सब अपनी जिंदगी में किसी ना किसी काम से या किसी ना किसी चीज से परेशान जरूर होते हैं। इससे होता यह है कि हमारी जिंदगी में बहुत ज्यादा नकारात्मकता भर जाती है। और उस नकारात्मकता को हम स्वीकार भी खुद ही करते हैं। क्योंकि जब तक हमारा मन किसी बात को स्वीकार नहीं करता तब तक कोई भी बात हमें प्रभावित नहीं कर सकती। और ना ही कोई बात हमारे अंदर किसी प्रकार की फीलिंग पैदा कर सकती है, जब तक कि हमारा मन किसी बात पर विश्वास ना कर ले।
जैसी आपके मन की प्रोग्रामिंग होती है वैसे ही आपके दिमाग के न्यूरो पेटर्न्स बनते हैं। और जो कुछ उनकी अंतर भंडारण होता है वही हम सोचते हैं और जो हम सोचते हैं उसी प्रकार हम कार्य भी करते हैं और वही हमारी जिंदगी बनती है। लेकिन जब आप अपनी उस गलत और गंदे कामों से या नकारात्मक कामों से तंग आ चुके हैं उसे सोने के लिए एक मजबूत और ताकतवर मोटिवेशन की जरूरत है तभी आप अपने मन को बोलोगे और तभी आपके दिमाग में बने हुए पुराने न्यूरो पेटर्न्स टूटेंगे और आपके बताने अनुसार नऐ बनेंगे।
हमारी गंदी आदतें कहां से पैदा होती है
आज हम अपने समाज के अधीन बहुत सारे नकारात्मक कामों में फंस चुके हैं, जैसी हमारा समाज बहुत सारी गलत और गंदे कामों में फँस चुका है हम भी उसी समाज में रहते हुए उन्हीं कामों को अपना लेते हैं। और हमें लगता है कि हमारे काम बहुत अच्छे हैं और हम जो कर रहे हैं वह सही है लेकिन असलियत यह नहीं है। इसकी असलियत हमें बाइबल से पता चलती है कि लिखा हुआ है। नीति वचन 16: 25 - एक ऐसा रास्ता है जो मनुष्य को सीधा लगता है और उसे लगता है कि सब कुछ सही है पर उसके अंत में मौत के रास्ते हैं और वो रास्ते दुष्टता से भरे हुए हैं। तब हमें इन गंदे कामों को छोड़ना बहुत मुश्किल हो जाता है तो इसी कामों को सोने के लिए हमें एक चुनौती को स्वीकार करना बहुत सारा जरूरी है और यह हर एक इंसान के लिए बहुत ज्यादा जरूरी है।
हम बहुत सारी गलत आदतों और गलत कामों में फंस चुके हैं जैसे कि हम आज परमेश्वर के टुकड़ों को भूल चुके हैं, बोलना तो दूर की बात हमें तो पता भी नहीं होता है, हम रोज पाप पे पाप किए जा रहे हैं, आज की नौजवान पीढ़ी पोर्नोग्राफी और हस्तमैथुन की गंदी आदतों में फस चुकी है और उन्हें लगता है कि यह काम साधारण है और सही है। हम चाहे किसी भी क्षेत्र में काम कर रहे हैं चाहे हम पढ़ते हैं, चाहे पढ़ाते हैं, चाहे हम कोई नौकरी करते हैं यह हमारा खुद का कोई कारोबार है। हम हर एक की जिंदगी में कोई ना कोई तो पाप जरूर होता है क्योंकि बाइबल में लिखा है हम सब पापी हैं और पाप की मजदूरी मृत्यु है। आज हम पढ़ते हैं जब पढ़ाते हैं तो हमें यह काम करने में कोई दिलचस्पी नहीं है, हमें हर रोज सुबह जल्दी उठने में बहुत मुश्किल होती है, हम आलसी पर आलसी बनते जा रहे हैं, ऐसे ही हर एक इंसान की जिंदगी में अलग-अलग तरह की मुश्किल है और पाप होते ही हैं।
चुनौती लेना और पाप से मुक्ति
बस अब इन्हीं कामों को छोड़ने के लिए हमको एक चैलेंज एक चुनौती लेने की जरूरत है और हमें एक ऐसी ऊर्जा एक ऐसी ताकत अपने अंदर भरने की जरूरत है जो हमारे सभी गलत कामों से हमको छुटकारा दिला सके और हमें पापों से मुक्त कर सके। पर एक शारीरिक मोटिवेशन जो आपको एक चुनौती लेने पर मजबूर करवाता है वह आपको सिर्फ इन सभी गलत आदतों से छुटकारा दिला सकता है लेकिन आपको अपने गलत कामों की वजह से हुए पापों को मुक्त नहीं कर सकता या आपको अपने पापों से मुक्ति नहीं दिला सकता। अगर आपको कोई मुक्ति दिला सकता है जिससे कि आप पूरी तरह से शुद्ध हो जाएं तो वह परमेश्वर है और उसका पुत्र यीशु मसीह है और उसकी पवित्र आत्मा है। पर हमें इन सब तक पहुंचने के लिए अपने आप को साफ करना पड़ेगा, अपने मन को साफ करना पड़ेगा। आपका मन सिर्फ और सिर्फ सकारात्मकता से ही था हो सकता है। जो आप देखते हो जो आप सुनते हो जो आप बोलते हो जो आप काम करते हो अगर वह आपकी काम सही हो जाए आप को बदल कर अच्छे और सकारात्मक कामों में बदल दे तो आपकी जिंदगी भी बदल जाएगी। इसमें चुनौती का बहुत बड़ा हाथ होता है। क्योंकि एक चुनौती है आप को बदल सकती है और चुनौती हम तभी लेते हैं जब हम अपने आप को बदलना चाहते हैं और अगर हम ऐसे ही रहना चाहते हैं जैसे सभी लोग रहते हैं। तब तक आप कोई भी चुनौती ना तो ले सकते हैं और ना ही उसे पूरा कर सकते हैं।
अब बात आती है कि हम चुनौती को स्वीकार कैसे करें। कि हम कैसे अपने मन को इतना मजबूत बनाएं कि हम जो छोड़ना चाहते हैं उसको छोड़ सकें और और जो काम हम करना चाहती हैं वह काम अपने मन से करवा सकें। क्योंकि आपका मन खुद आपको नहीं कहेगा कोई सही या बहुत जरूरी काम करने के लिए आपको खुद को उसको बोलना पड़ेगा और तभी वह करेगा। अपने आप को बोलने के बहुत सारे तरीके हैं जिससे कि आप अपने आपको परमेश्वर के साथ और सकारात्मकता के साथ जोड़ सकें, जैसे हर रोज प्रार्थना करना, हर रोज अपने आप को सकारात्मक एफर्मेशंस बोलना, अपने आप से बात करना, पिछले समय में हुई ग़लतियों से सीखना और उनको दोबारा ना करना। आप किसी चुनौती को तभी पूरा कर सकते हैं जब आप उन कामों को छोड़ दें जिनकी वजह से आप नीचे की ओर गिर रहे हैं। और आपकी इच्छा शक्ति और आपकी प्रेरणा तभी काम करेगी जब आप लगातार इन चीजों को अपनी जिंदगी में अपनाएंगे।