Power of Positive Thinking - The Power of God's Word on Positivity and Peace



आज हम जानेंगे की पॉजिटिविटी की शक्ति क्या होती है यानी सकारात्मकता की शक्ति। सकारात्मकता क्या है और हम अपने पूरे दिन को और अपने अवचेतन मन को कैसे सकारात्मक रूप दे सकते हैं।

       यहां पर बहुत ही बढ़िया तरीके से बताया गया है कि कैसे आप अपने मन को खुली आजादी से पूरी सकारात्मकता के साथ भर सकते हो। 


The Power of Positive Thinking in Hindi
The Power of Positivity and Power of Positive Habits (source: GodMotivation)


   


        आज हम जानेंगे कि कैसे हम एक नकारात्मक जिंदगी को सकारात्मक जिंदगी में बदल सकते हैं और अपनी जिंदगी में चमत्कार देख सकते हैं।

      एक सकारात्मक आदमी हमेशा अपने मन को खुला हुआ महसूस करता है। उसका पूरा मन वर्तमान स्थिति में रहता है। वह हर एक चिंता से मुक्त होता है और आजाद होता है।

        तो क्या हम भी उस मनुष्य की तरह जैसे वह चिंता और नकारात्मक सोच से मुक्त है। क्या हम भी उसकी तरह बन सकते हैं? हां जरूर, हम भी अपने मन को सकारात्मक तरीके से बदल सकते हैं।

         अपने मन को सकारात्मक सोच में बदलने के लिए आपको कहीं बाहर जाने की जरूरत नहीं है बल्कि जरूरत है अपने अंदर जाने की मतलब कि अपने मन को समझने की कि आपका मन कैसे काम करता है।

       एक सकारात्मक मनुष्य हमेशा ही खुशियों को और शांति को फैलाता है। और वह दूसरों की मदद करता है जिससे कि परमेश्वर भी उसकी मदद करता है।

        हम दिन भर में नकारात्मक सोच में डूबे रहते हैं कि कहीं हमारे साथ यह ना हो जाए, वह ना हो जाए। लेकिन एक सकारात्मक मनुष्य को कोई भी चिंता नहीं सताती। वे चिंता मुक्त होता है और परमेश्वर में लीन होता है।




1. अपने आप के ऊपर विश्वास करें - Believe in Yourself


अपने आप के ऊपर विश्वास करें और अपने आप की किसी के साथ तुलना ना करें। क्योंकि किसी के साथ अपने आप की तुलना करने से आप अपने आप को कमजोर समझने लगते हो।

      अपने पहले अध्याय को किसी के बीच में अध्याय के साथ तुलना ना करें। क्योंकि जिस इंसान को आप देख रहे हो तो देखो कि उस इंसान ने कितनी मेहनत की जो आज वह उस मुकाम पर खड़ा है और आपको कितनी मेहनत करने की जरूरत है ताकि आप भी उसकी तरह बन सको ना कि सिर्फ सपने देख सको।

        अपने लक्ष्य को ढूंढो और उस लक्ष्य पर काम करो। इतनी मेहनत करो और तब तक मेहनत करो कि जब तक आपको आपका लक्ष्य पूरा नहीं हो जाता।

        क्योंकि आप जितने भी सपने देखते हो लेकिन अगर आपका कोई लक्ष्य नहीं है तो वह आपके सपने नहीं हैं वह सिर्फ आपकी इच्छा है। लक्ष्य आपको आपका रास्ता दिखाता है कि आखिर हमने जाना किधर है और कहां जाकर रुकना है।

         मेहनत करो जी और जान से मेहनत करो। यहां तक अपनी मेहनत को ले जाओ कि आप कोई भी नकारात्मक बात हमेशा के लिए भूल ही जाओ और सकारात्मकता को हमेशा पकड़े रखो। वह सकारात्मक सोच आपको हमेशा मोटिवेट करेगी और आपको हमेशा चार्ज रखे गी।

          जब हम अपने बारे में नकारात्मक सोचते हैं तो हमारे साथ नकारात्मक ही होता है जैसे कि अगर हम सोचते हैं कि हमें कोई पसंद नहीं करेगा या हमारी आवाज को कोई नहीं सुनेगा। तू हमारे साथ होता भी ऐसा ही है मतलब कि अगर हम उस विचार को छोड़कर एक सकारात्मक विचार को पकड़े कि मैं यह कर सकता हूं तो यह निश्चय ही आप से होगा।

          अपने लक्ष्य को सकारात्मक सोच से और सकारात्मक तरीके से देखना शुरू करें। आपका जो लक्ष्य है उसके प्रति आपको कोई भी संदेह नहीं होना चाहिए मतलब कि कोई शक का भाव नहीं होना चाहिए।

       आप अपने मन में यह सकारात्मक कल्पना करें कि आज से कई साल बाद या आज से 10 साल बाद या 20 साल बाद आप कैसे होंगे और आप क्या काम कर रहे होंगे। इस तरह अपने मन में सकारात्मक विचारों को पैदा करो जिससे कि सकारात्मकता आपके लिए उन विचारों को प्रगट करेगी।

       अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए चिंता मत करें बल्कि चिंता और डर को हमेशा के लिए भूल ही जाएगी यह होते भी हैं। अगर आप डर गए तो आप मर गए। हमें बहुत सारे डर घेर लेते हैं जैसे लोग क्या कहेंगे। मेरे पास पैसे ही नहीं है। अगर मैं असफल हो गया तो। अगर हम ऐसे विचार लेकर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ेंगे तो आपका लक्ष्य आपको कभी नहीं मिलेगा बल्कि यह जो आपके मन में विचार हैं वही आपकी जिंदगी में पूरे होंगे मतलब कि नकारात्मक विचार।

         हमारे मन में बहुत सारी नकारात्मक विचार आते रहते हैं और वह हमारे आत्मविश्वास को कमजोर कर देते हैं।

       सबसे पहले तो हमें वह जाने की जरूरत है जिसकी वजह से हमारे मन में नकारात्मक विचार पैदा होते हैं ताकि हम उन विचारों की जड़ तक जा सके।

         हमारा आत्मविश्वास कमजोर होने पर हम अपने आप को दूसरों के साथ तुलना करना शुरू कर देते हैं। और हम अपने आपको दूसरों से कमजोर समझने लग जाते हैं लेकिन असलियत में हम ऐसे होते नहीं हैं क्योंकि कमजोर हमारी सोच या हमारा मन होता है कमजोर इंसान नहीं होता।

       अपने आत्मविश्वास को पाने के लिए आप यह Affirmation को दोहराएं और अभी मेरे पीछे कहें कि - मैं परमेश्वर की शक्ति के साथ सब कुछ कर सकता हूं - I can do everything with the the power of God

       हम जो कुछ भी हैं और जो कुछ भी हमारे पास है हमें उस सब के लिए परमेश्वर का धन्यवाद करनाा है।  ताकि परमेश्वर हमारे मन कोो शुद्ध  कर सके।

       हमारे पास जो कुछ भी है चाहे वह हमारा करिए, हमारी शिक्षा, हमारे पास कितना धन दौलत है, हम कैसे दिखते हैं यह सब के लिए परमेश्वर का धन्यवाद करें। ताकि वह और भी आशीषों को हमारे लिए खोल सके।



2. एक सकारात्मक मन शक्ति को पैदा करता है  A powerful mind generates power



हमारा मन और भी शक्तिशाली हो जाता है जब हमारे मन के अंदर सकारात्मक एहसास पैदा होते हैं। अगर हमारा मन शांत है तो वह हमें हर रोज और हर वक्त एक बहुत शक्तिशाली एहसास में रखता है।

        हमारा मन और भी शक्तिशाली हो सकता है अगर वह शांत है तो। हमारा मन शान तभी हो सकता है जब वह खाली होता है। हमारी मन को खाली करने के लिए हमें खुद से ही काम करना पड़ेगा और सकारात्मक Affirmations को पढ़ना और दोहराना पड़ेगा।

      हम परमेश्वर का धन्यवाद करके अपने मन को शांत कर सकते हैं। जब भी हम सोने के लिए जाएं तो सोने से पहले परमेश्वर का धन्यवाद करें और कहे कि जो कुछ भी उस परमेश्वर ने हमें आज और पहले दिया है उसका हम पूरे दिल से धन्यवाद करते हैं।

       इसी प्रकार सुबह उठने के बाद भी परमेश्वर का धन्यवाद करें क्योंकि धन्यवाद करने में सबसे खूबसूरत और चमत्कारी एहसास छिपा होता है। जब आप इस तरह करोगे कि सुबह उठने के बाद और सोने से पहले परमेश्वर का धन्यवाद करोगे तो इससे पहला तो आपका मन शांत होगा और दूसरा आपको परमेश्वर की ओर से और ज्यादा शांति और आनंद प्राप्त होगा।



3. निरंतर ऊर्जा को कैसे पाएं How to have constant energy



हम कैसे अपने मन में अपने मन को शांत करने के लिए और सकारात्मक भाव को पैदा करने के लिए निरंतर ऊर्जा को पा सकते हैं।

      वह निरंतर ऊर्जा परमेश्वर की ओर से है जो हमें दिव्य शक्ति के रूप में मिलती है। जब हम प्रार्थना की शक्ति को जानते हैं और हर रोज प्रार्थना करना शुरू करते हैं तब हम उस दिव्य शक्ति का एहसास करते हैं जो हमें एक निरंतर ऊर्जा के रूप में मिलती है और वह हमारे मन को शुद्ध करती है और हमारे विचारों को भी शुद्ध करती है।

       हर सफल व्यक्ति कुदरत और आत्मिक जिंदगी में संतुलन कायम रखता है। और हमें अपने आत्मा को जानने की जरूरत है। क्योंकि हमारी आत्मिक जिंदगी परमेश्वर की ओर से है और वह जिंदगी सबसे बड़ी है।

       एक निरंतर ऊर्जा और सकारात्मक सोच हमारे मन को परमेश्वर के मन के साथ जोड़ती है। जिससे कि हम परमेश्वर के योजनाओं को जान सकते हैं जो उसने हमारे लिए बनाई हुई हैं।

      एक सकारात्मक निरंतर ऊर्जा हमें परमेश्वर में बढ़ने की और बल प्रदान करती है। और यह निरंतर ऊर्जा परमेश्वर की शक्ति है जो हमें दिव्य शक्ति के रूप में मिलती है। 

      सभी प्रश्नों का उत्तर प्रमेश्वर के पास है अगर आपके पास कोई प्रश्न है जिसका उत्तर आपको कहीं से भी नहीं मिल रहा मतलब की आपकी कोई मुश्किल है तो आप परमेश्वर को बताओ और वह तुरंत आपको उत्तर देगा।

         परमेश्वर आपको खुद बोलकर तो उत्तर नहीं देता पर वह आपके मन में एक सकारात्मक विचार उत्तर के रूप में डालता है अगर हम उस उत्तर को जांचने और उसको सुन ले तो हम अपनी मुश्किल का हल पा जाते हैं।



4. प्रार्थना की शक्ति The power of prayer



परमेश्वर ही सभी ऊर्जा का स्रोत है। हम परमेश्वर से ही आनंद ऊर्जा को पा सकते हैं। उस अनंत ऊर्जा को हम प्रार्थना के रूप में परमेश्वर से मांग कर पा सकते हैं।

      क्योंकि जो कुछ भी हम पूरे दिल से और पूरे चाह से मांगते हैं। वह बात एक विश्वास के रूप में हमारे अवचेतन मन में बैठ जाती है जिससे कि परमेश्वर हमारे विश्वास को देखकर हमें फल देता है जिससे कि हम अपनी प्रार्थना का उत्तर भी कह देते हैं।

         प्रार्थना हमारे आत्मिक और शारीरिक रचना को एक नई शक्ति प्रदान करती है। प्रार्थना के अंदर इतनी शक्ति होती है कि वह हमें और हमारे शरीर को पूरी जड़ से चंगा कर सकती है।

       प्रार्थना हमारी आत्मा को और हमारे शरीर को चंगा कर सकती है। और हमारे लिए बहुत बड़े बड़े चमत्कार पैदा कर सकती है।

        हमें ऐसे प्रार्थना करनी चाहिए कि हम बहुत ही आसान तरीके से परमेश्वर से विनती कर रहे हैं ना कि बहुत ही कठिन तरीके से। अपनी प्रार्थना में बहुत ही आसान शब्दों का इस्तेमाल करें जैसे कि हम किसी दोस्त से बात कर रहे हैं वैसे ही परमेश्वर को भी अपना दोस्त समझकर उसके आगे अपनी विनती को रखो।

         प्रार्थना पूरे दिल से होनी चाहिए और जो भी शब्द आप बोलते हो वह रटे नहीं होनी चाहिए बल्कि वह आपके दिल से निकलने चाहिए। जो शब्द दिल से निकलते हैं वह अपने आप ही निकलते हैं। और मैं अपने आप ही परमेश्वर के लिए अपने प्यार को प्रकट करते हैं।

        प्रार्थना करने की दूसरे तरीके में प्रार्थना करते वक्त उस चीज को एक तस्वीरों के रूप में देखें जिसके बारे में आप प्रार्थना कर रहे हो या उन चीजों को कल्पना करें जिनकी आप मांग कर रहे हो। 

        आप किसी इंसान के बारे में भी अगर प्रार्थना कर रहे हैं तो उसकी तस्वीर को अपने मन में कल्पना करें और उसके लिए सकारात्मक बोल बोले तो आपकी प्रार्थना शत-प्रतिशत सुनी जाएगी और परमेश्वर आपको तुरंत उत्तर देगा।

         प्रार्थना एक तरंगों के रूप में काम करती है। प्रार्थना एक बहुत ही अद्भुत और चमत्कारी उपहार है जो परमेश्वर ने अपनी परस्तिश करने के लिए हमें दिया है। प्रार्थना करने से एक तो हम परमेश्वर की उपासना करते हैं और दूसरा हम अपने मन को सकारात्मकता में रखते हैं जिससे कि हमारा मन कभी भी भटकता नहीं है और हमेशा परमेश्वर के साथ जुड़ा रहता है।

         प्रार्थना रोज करें और अपने मुंह से बोल कर प्रार्थना करें जैसे कि हम किसी इंसान से बात कर रहे हैं वैसे ही समझे कि हम एक आत्मा से बात कर रहे हैं जो कि परम आत्मा है मतलब की सबसे बड़ी आत्मा है जिसके अंदर हम समाए हुए हैं।

        जो कुछ भी हमारे पास है और जो कुछ भी हमारे पास नहीं है उन सभी के लिए परमेश्वर का धन्यवाद करें और प्रार्थना करें। आपकी प्रार्थना में कोई भी शब्द नकारात्मक नहीं होना चाहिए और हर रोज प्रार्थना करें।



5. अपनी असली खुशी को कैसे प्राप्त करें How to create it your own happiness



हम पूरा दिन खुश रहेंगे या दुखी रहेंगे यह खुद हम ही चुनते हैं और इनमें से ज्यादा लोग अपनी दुखी होने की वजह को ही चुनते हैं और खुद ही दुखी होते हैं। 

        हमेशा अपने आप को खुश रखने के लिए अगर आप कितनी भी बड़ी मुसीबत में क्यों ना हो उसके लिए आप यह बोल सकते हैं और आप मेरे अब पीछे पीछे बोले कि - मैं बहुत ही अच्छा महसूस कर रहा हूं, मेरे अंदर एक सकारात्मक शक्ति का एहसास है, परमेश्वर मुझे हर समय सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर करता है, मैंने अपने मन को सकारात्मकता से भरा हुआ है।

        परमेश्वर मेरी प्रार्थना को सुनता है और वह मुझे उत्तर भी देता है।



6. गुस्से को और चिड़चिड़ापन को अपने आप से दूर रखें - How to Stop fuming and fretting



अगर आप एक सकारात्मक जिंदगी को जीना चाहते हैं पर लेकिन अगर आपके अंदर गुस्सा भरा हुआ है और आप हमेशा हर एक और छोटी-छोटी बात पर चिड़ जाते हो, तो आप कभी भी पॉजिटिव नहीं रह सकते।

     हमारे अंदर का चिड़चिड़ापन गुस्सा और नफरत हमारी खुशियों को खत्म कर देता है और जो इंसान के अंदर यह सब नकारात्मक खूबियां होती हैं वह कभी भी खुश नहीं रह सकता और उसकी सोच भी हमेशा ही नकारात्मक विचार पैदा करती है क्योंकि जो हमारे अंदर हैं वही हमारे बाहर भी आएगा।

         क्या हम पल भर की चिंता करके अपनी उम्र को बढ़ा सकते हैं? क्या हम बात बत पर
 गुस्सा करके दूसरों को भी गुस्सा नहीं दिला रहे या दूसरों के अंदर भी नकारात्मक एहसास या भाग नहीं पैदा कर रहे? जब तक हम हमारी सोच को नहीं बदलेंगे तो कुछ भी नहीं बदलेगा।

        आपको एक खुशी से भरी हुई जिंदगी को बयतीत करने के लिए अपने मन में से गुस्सा, नफरत और चिड़चिड़ापन को हमेशा के लिए निकालना पड़ेगा तभी हम खुशियों को अपनी और आकर्षित कर सकते हैं। 



7. हमेशा अच्छी के लिए उम्मीद रखें और प्राप्त भी करें - always expect and get it



अपनी आपके लिए हमेशा अच्छे की उम्मीद रखें और विश्वास रखें कि जो काम आप कर रहे हो उसका रिजल्ट आपको अच्छा ही मिलेगा।

        यह हमारे लिए सबसे बड़ा सिद्धांत हो सकता है कि हम अपने अच्छे के लिए उम्मीद थी कि हमारे साथ हमेशा अच्छा ही होगा मतलब की जो काम हम कर नहीं हैं उसने चाहे जितनी भी मुश्किलें आए लेकिन हम अच्छाई की ओर बढ़ रहे हैं ना कि हार को देख कर रुक गए।

      सबसे पहले अच्छे की उम्मीद करना सबसे ज्यादा जरूरी है और अच्छे की उम्मीद पूरे विश्वास के साथ करनी चाहिए। अपने अच्छे के लिए परमेश्वर पर पूरा विश्वास रखें और यह भी उम्मीद रखें कि परमेश्वर आपको जरूर देगा जो आपके मन में चल रहा है।

          हम परमेश्वर से जो कुछ भी मांग रहे हैं कभी भी उसके लिए शक ना करें या संदेह ना करें। पूरे आत्मविश्वास के साथ उसको मांगें तो आप की मांग को वह जरूर पूरा करेगा। 

      आप जो काम कर रहे हैं उससे भी हमेशा अच्छे की उम्मीद ही रखें और यह भी उम्मीद रखें कि आपका जो रिजल्ट होगा वह अच्छा ही होगा। हम जब परमेश्वर के सामने प्रार्थना करने के लिए जाएं तो अच्छी-अच्छी शब्दों को ही अपनी प्रार्थना में इस्तेमाल करें और बुराई को दूर भगाएं।

      परमेश्वर को बुरे लोगों से और बुराई से घृणा होती है इसलिए कि हम भी परमेश्वर से ही निकले हैं तो हमें भी बुराई से घृणा करने की जरूरत है। अगर हमने किसी से दुश्मनी रखनी है तो शैतान से रखें और शैतानी चीजों या बुराई से रखें। तभी हमें इसका लाभ हो सकता है जो हम परमेश्वर से मांग रहे हैं।

      जब आप बुरा सोचते हो या बुरे की उम्मीद रखते हो तो आपका विश्वास बुरा ही बन जाता है पर लेकिन जब आप अच्छा सोचते हो या अच्छी की उम्मीद रखते हो तब आपका विश्वास अच्छाई पर बन जाता है और जो आप सोचते हो चाहे अच्छा या बुरा आपके साथ वैसा ही होता है।

         अपने आप को और अपनी उम्मीद को कायम रखने के लिए यह भोले कि - मेरा विश्वास परमेश्वर पर है। मैं हमेशा अपने भले और अच्छे के लिए घोषणा करता हूं। मैं सबके साथ अच्छा करता हूं और मेरे साथ भी अच्छा ही होता है। मैं परमेश्वर के बताए हुए रास्तों पर चलता हूं और परमेश्वर मेरे विश्वास को और ज्यादा बढ़ाता है।

           
            धन्यवाद।। धन्यवाद।।

                   Book - The Power of Positive Thinking


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     ऊपर लिखी हुई वचनों के प्रति अगर आपके मन में कोई प्रश्न है तो आप हमें कमेंट करके भी पूछ सकते हैं या आप हमारे सोशल मीडिया चैनल्स पर हमसे संपर्क कर सकते हैं।।।।।।

धन्यवाद।। आमीन।।।








        



        
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