The Power of Prayer - What is Prayer and How to do Prayer?



आज हम प्रार्थना की शक्ति के बारे में जानेंगे।
कि कैसे हम अपने आप को परमेश्वर के साथ प्रार्थना के जरिए से जोड़ सकते हैं।

     कैसी प्रार्थना की जाती है और प्रार्थना करने का हमको क्या लाभ होगा। यह सब कुछ आज हम जानेंगे और परमेश्वर से अपनी आशीशों को प्राप्त करेंगे।

      मुझे पूरी आस है कि यदि आप जानेंगे की प्रार्थना का हमारी जिंदगी में क्या लाभ है और क्या उद्देश्य हैं तो आप अपनी जिंदगी को बदल सकते हैं जैसे परमेश्वर ने हम सब की जिंदगी को बदला है।

        आज हम जानेंगे कि What is Prayer and What is the power of prayer, और मुझे यह पूराााााा विश्वास है कि आप इन्हें जरूर समझोगे।

         प्रार्थना की शक्ति क्या है और प्रार्थना का लाभ क्या है। प्रार्थना की शक्ति बहुत ही शक्तिशाली शक्ति है। और प्रार्थना के लाभ हमारी जिंदगी को बदल सकते हैं।



Power of Prayer - What is Prayer and Healing power
The power of prayer - How to and benefits of prayer.




प्रार्थना क्या है - What is Prayer


 प्रार्थना एक ऐसी शक्ति है जिसमें कोई भी बात परमेश्वर तक पहुंच सकती है। परमेश्वर तक बात को हो जाने के लिए या अपनी अरजों को परमेश्वर तक पहुंचाने के लिए हम परमेश्वर के आगे प्रार्थना करते हैं।

         वह परमेश्वर हमारी सभी बातों को जानता है जो कि हम खुद उसको प्रेयर के द्वारा मांग कर पा सकते हैं। और परमेश्वर हमारी सभी मांगों को पूरा करता है जो हम पूरे दिल से और पूरे विश्वास से प्रार्थना में मांगते हैं।

        प्रार्थना के द्वारा हमको कृतिज्ञा यानी Gratitude दिखाने की जरूरत होती है। कि हम सब उन चीजों का धन्यवाद करें जो परमेश्वर ने हमको दी है। 

        प्रार्थना हमेशा Gratitude से ही की जाती है। और वही प्रार्थना सफल होती है जिससे हम परमेश्वर का धन्यवाद करते हैं और परमेश्वर उसी प्रार्थना को स्वीकार करता है।

       प्रार्थना नम्रता से की जाती है, धन्यवाद से परमेश्वर के सामने अपने आप को नम्र किया जाता है। अपने अहंकार को दूर करके ही प्रार्थना को सफल किया जा सकता है।

         प्रार्थना रटे हुए शब्दों से नहीं की जाति बल्कि प्रार्थना तो दिल से निकलती है। और जो विचार हमारी दिल से निकलते हैं। जो आह हमारे दिल से निकलती है वही हमारी प्रार्थना है।

         जब हम दुखी होते हैं यहां जब हम मुसीबत में होते हैं तो जो शब्द पूरे दिल से हमारे मन से निकलते हैं वह शब्द परमेश्वर सुनता है और उसका उत्तर देता है।




        


        प्रार्थना अवचेतन मन की एक प्रक्रिया है जो हमारे विश्वास को पक्का करती है। और लाख मुसीबतें आने के बाद भी हमारा विश्वास कभी भी कमजोर नहीं पड़ने देती।

       क्योंकि प्रार्थना हमको परमेश्वर के साथ जोड़ कर रखती है। परमेश्वर के साथ जुड़े रहने से हम अच्छा महसूस करते हैं। और हमें ऐसा महसूस होता है कि जैसे हम एक अध्यात्मिक और अजीब दुनिया में मौजूद।

        प्रार्थना के द्वारा हम अपने सभी दुखों और मुसीबतों को दूर कर सकते हैं। प्रार्थना हमारे मन में बढ़े हुए कचरे को खाली करती है। और परमेश्वर का वचन हमारे मन में भरने के लिए जगह तैयार करती है।

         प्रार्थना बहुत बड़े बड़े चमत्कार पैदा करती है जो एक साधारण और नए मनुष्य के लिए अद्भुत होते हैं। उन चमत्कारों से हमारा विश्वास परमेश्वर के ऊपर और ज्यादा बढ़ जाता है।

         प्रार्थना हमें सब्र करना सिखाती है। क्योंकि सब्र का फल मीठा होता है और जो फल हमें सब्र के बाद मिलता है वह अनमोल और अद्भुत होता है।



प्रार्थना क्यों करनी चाहिए - Why to do Prayer



प्रार्थना हरेक एक मनुष्य के लिए बहुत जरूरी है।  यह हमारी जिंदगी का एक हिस्सा होना चाहिए। प्रार्थना हमें इसलिए करनी चाहिए कि : 

      जो बात हमारे बस की नहीं है, जो काम हमारे बस का नहीं है। उसके लिए हम परमेश्वर से प्रार्थना कर सकते हैं। क्योंकि परमेश्वर सब कुछ कर सकता है इसलिए वह हमारा वह काम भी कर सकता है। 

       परमेश्वर के लिए कुछ भी असंभव या मुश्किल नहीं है। जब हम अपने आप को हारा हुआ महसूस करते हैं। जब हमारे अंदर की ताकत और हमारी सोच खत्म हो जाती है। वहां पर अगर प्रार्थना की जाए तो परमेश्वर काम करता है।

        लेकिन वह आपके बोलने से पहले या सोचने से पहले काम नहीं करता। क्योंकि वह आपको अधीन और मजबूत बनाना चाहता है इसलिए वह कभी-कभी आपके ऊपर दुख और परेशानियां भेज देता है। और जब हम प्रार्थना के जरिए परमेश्वर से मांगते हैं तो वह हमारी सुनता है।

        हम परमेश्वर को जो भी नाम दें, बस उसके सामने अपने हाथों को फैलाकर या हाथों को जोड़कर, अपने मन को खोल कर, प्रेम पूर्ण होकर, अपनी Ego को जीरो करके नम्रता से प्रार्थना करें।

        आगे लिखी हुई बातें आपको प्रार्थना करने में मदद करेगी और आपकी जिंदगी में एक चमकता हुआ सूरज और एक खूबसूरत रोशनी लेकर आएंगे - 

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प्रार्थना करने से क्या होता है - what happened to do Prayer


प्रार्थना के द्वारा अवचेतन मन की प्रोग्रामिंग की जाती है और यह शुरुआत से ही किया जाता है।

       हम सब को जिसने बनाया है मतलब कि परमेश्वर, हमारा खुदा, वाहिगुरु, जिसको हम सिरजनहार भी कहते हैं। वह एक सबसे बड़ी शक्ति है जो हमारी ही अधिकतम ऊर्जा है।

      जैसे हम एक बूंद हैं तो वह परमेश्वर एक महासागर है। जैसे हम एक हवा का कण है तो वह परमेश्वर हवा का भंडार है।

       जैसे पानी की एक बूंद समुद्र में घुली हुई है और एक विशाल पानी जिसको हम महासागर कहते हैं, वैसे ही हम भी यानी हमारा आत्मा एक बहुत बड़े आत्मा के साथ जुड़ा हुआ है जिसे हम परम आत्मा कहते हैं।

       उसी तक जब हमारी बात पहुंचती है तो वह विशाल होने के कारण हमारे सभी दुखों और परेशानियों को दूर करके हमको सुख और आराम देता है।

       प्रार्थना बहुत असरदार होती है जब वह पूरे दिल से की जाती है। और यह हमारे लिए कोई विकल्प नहीं बल्कि हमारी जिंदगी का एक हिस्सा होनी चाहिए। क्योंकि हमको बहुत बड़ा मौका मिला है परमेश्वर की परस्तिश करने का।

        जैसे किसी इंसान को अगर उसके व्यापार में कोई घाटा पड जाता है, किसी इंसान को अपने बड़े व्यापार में घाटा बढ़ जाता है, किसी इंसान की नौकरी चली जाती है, कोई इंसान कर्ज के नीचे दबा हुआ है, कोई इंसान अपनी परेशानियों से निकलने का प्रयास करता है। पर लेकिन वह नहीं निकल पाता।

       तब जब हमारा कोई सहारा नहीं रह जाता, जब हम पूरी तरह से अकेले पड़ जाते हैं। जब कोई आशा की किरण हम को नजर नहीं आती, हम दुखों और बोझ के नीचे दब जाते हैं, तब प्रार्थना करते हैं तो परमेश्वर हमें उन सभी मुश्किलों से निकालता है और हमें आजाद करता है।

        प्रार्थना एक विनती है जिसमें कि हम कहते हैं कि हे परमेश्वर अब मैं कुछ नहीं कर सकता। मेरी बस हो चुकी है, यह काम मेरे बस का नहीं है इसे बस तू ही कर सकता है।

        प्रार्थना हमारे हृदय को नम्र करती है और हमें दयावान बनाती है। प्रार्थना करने से हमारा ही नहीं बल्कि दूसरे मनुष्य का भी मन बदल जाता है। 

      प्रार्थना एक हवा में तरंगों की तरह हैं, जैसे हम मोबाइल फोन से तरंगों के जरिए अपनी बात को यहां से वहां पहुंच ज सकते हैं, वैसे ही प्रार्थना तरंगों की तरह काम करती है। अगर हम यहां पर किसी के लिए प्रार्थना कर रहे हैं तो वह दूर बैठे किसी दूसरे इंसान को चंगा कर सकती है।

       प्रार्थना का मतलब अपने हृदय को खोलना है। परमेश्वर के लिए अपने मन और अपने दिल को खोलना। क्योंकि परमेश्वर हम से अलग नहीं है वह हमारे ही अंदर हैं और हम उसके अंदर हैं।

       हमारा अवचेतन मन उसी अद्भुत शक्ति का एक हिस्सा है। परमेश्वर का वचन और उसकी सोच हमारे अवचेतन मन में ही बसी हुई है इसीलिए ही हम कहते हैं कि परमेश्वर हमारे अंदर है मतलब कि वह हमारे मन के अंदर है। जिस मन को हम अवचेतन मन कहते हैं।

        हमारा खुदा हमारे ही अंदर है और वह हमारे अवचेतन मन में एक सकारात्मक सोच है।

        अगर मैं कहूं कि मैं मेहनत भी ना करूं और अमीर भी हो जाऊं, मेहनत भी ना करूं और स्वस्थ भी रहूं। यह कोई प्रार्थना नहीं है इस प्रकार की प्रार्थना परमेश्वर के लिए स्वीकृत नहीं है।

       प्रार्थना मेहनत से बचने का तरीका नहीं है, प्रार्थना परमेश्वर से जुड़ने का तरीका है। जो हमारा है वह परमेश्वर को दे दो और जो परमेश्वर ने हमारे लिए रखा हुआ है वह हमको जरूर मिलेगा। 

       मतलब की हमें परमेश्वर के लिए अपने आप को और अपनी आदतों को बलिदान करना पड़ेगा। और अपने आप को प्रार्थना के द्वारा नम्र करते हुए परमेश्वर के आधीन करना पड़ेगा।

       वह परमेश्वर हमारे अंदर हैं क्योंकि खुद के अंदर ही खुदा है। अपनी आत्मा को अध्यात्मिक ज्योति की ओर ले जाना ही प्रार्थना है।


प्रार्थना कैसे करनी चाहिए - How to do Prayer



      लेकिन जब हम प्रार्थना करते हैं तो परमेश्वर के सामने हम अपनी मांगों की एक लंबी कतार बना देते हैं। कि हमें यह भी मिल जाए वह भी मिल जाए। 

        पर लेकिन जो हमारे पास है उसका हमने कभी धन्यवाद किया ही नहीं। परमेश्वर ने जो कुछ हमें दिया है और जो कुछ हमारे पास है उसका धन्यवाद करने का तरीका है प्रार्थना।

       प्रार्थना कोई आपक खरीददारी की लिस्ट नहीं है। कि परमेश्वर हमें तुम यह भी दो और वह भी दो। प्रार्थना एक जिंदा एहसास है जो हम जिंदा खुदा को सुनाते हैं।

      प्रार्थना एक नम्रता भरी एहसास है। 

      परमेश्वर अंतर्यामी है वह सब कुछ जानता है। लेकिन इसलिए ही हम प्रार्थना करते हैं ताकि हम नम्र हो सके, ताकि हम परमेश्वर के सामने झुक सके। क्योंकि जब हमारा शरीर झुकेगा तो हमारा मन भी झुकेगा।

      आपने विज्ञान में एक पढ़ा होगा। यह कहता है कि कुदरत में सारी चीजें अपने आप में संतुलन कायम रखते हैं और वह हमेशा संतुलित होना चाहती हैं। जैसे पानी और हवा हमेशा ही संतुलित होना चाहते हैं, वैसे ही आप का मन भी जब खाली होता है मतलब कि जब हम अपने मन को परमेश्वर के लिए खाली करते हैं तब परमेश्वर हमारे मन को भर देता है।

        वह करुणा से और अपनी दया से हमारे मन को भर देता है। क्योंकि परमेश्वर हमें इतनी अद्भुत चीजें देता है कि हम कभी भी परमेश्वर को छोड़ नहीं सकते क्योंकि हमने नहीं बल्कि परमेश्वर ने हमको अपने लिए चुना।

         इसलिए परमेश्वर से जुड़ने के लिए आज ही प्रार्थना करना शुरू कर दें। सबसे पहले अपने Subconscious Mind को बदलना सबसे ज्यादा जरूरी है क्योंकि इसके बिना आप कभी भी सफल नहीं हो पाओगे और ना ही लंबे समय तक अपनी प्रार्थना को ले जा पाओगे।

       दूसरे नंबर पर आपका संपूर्ण विश्वास परमेश्वर पर होना चाहिए और शत-प्रतिशत विश्वास और ध्यान के साथ प्रार्थना करना शुरू करें।

        प्रार्थना करते समय अपने आप को सकारात्मक महसूस करें और अपने इर्द गिर्द सकारात्मकता का एहसास करें। और अपने आप से कहीं की मैं और मेरा आस-पास सकारात्मकता से भरा हुआ है।

        सबसे ज्यादा बड़ा और सबसे ज्यादा जरूरी यही है कि आप सब्र रखें। क्योंकि जितना सब्र आपके अंदर होगा उतनी जल्दी आपकी प्रार्थना सुनी जाएगी और आपको उत्तर मिलेगा।

        प्रार्थना बलिदान को मांगती है। इसलिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि आपको अपने अवचेतन मन की शक्ति से अपनी गंदी और गलत औरत को सोना पड़ेगा और उन सभी आदतों को बलिदान करना पड़ेगा जो परमेश्वर को पसंद नहीं है।

      परमेश्वर की कोई भाषा नहीं है बस चुप रहना विश्वास करना सब रखना ही परमेश्वर की भाषा है।



प्रार्थना कब संपूर्ण होती है - When we receive answer of our prayer



जैसे एक किसान बीज को होता है और वह उसके अंदर खाद डालता है, पानी देता है और उसके सब्र करने के बाद भी वह फसल उगती है और वह इंसान काटता है और बेचता है।

       उसी प्रकार प्रार्थना का फल या उत्तर हमें तुरंत नहीं मिल जाता उसके लिए हमें चुप रह कर सब रखने की जरूरत होती है। इनकी अच्छे कामों को होने के लिए समय लगता है। और जो काम जल्दी हो जाते हैं वह अच्छे नहीं होते या बहुत कम समय के लिए ही होते हैं।

         क्या आपको पता है कि आपको अपनी प्रार्थना का उत्तर कब मिलेगा- जितना ज्यादा सब्र आपके अंदर होगा, जितना ज्यादा आप यह सोचना बंद करोगे कि कब मिलेगा उतना जल्दी ही आपको प्रार्थना का उत्तर मिलेगा।

         क्योंकि परमेश्वर आप को मजबूत बनाना चाहता है कि वह अपनी चापलूसी नहीं चाहता। इसलिए परमेश्वर को आप का समर्पण पसंद है। 

         आराधना करते वक्त हम परमेश्वर से बात करते हैं और वह सुनता है, और ध्यान करते वक्त हम सुनते हैं और परमेश्वर बोलता है।

          प्रार्थना आप के हालात को बदल दी है और आपके मन को बदलती है। प्रार्थना आपको दिव्य सकारात्मक ऊर्जा से जुड़ती है। प्रार्थना आपको आपके अंदर से चंगा करती है और आपकी हड्डियों को मजबूत करती है।

            

एक मजबूत प्रार्थना - The powerful prayer



आओ हम मिलकर कुछ समय के लिए प्रार्थना करते हैं और उस दिव्य शक्ति का एहसास करते हैं - 
सबसे पहले परमेश्वर का धन्यवाद करें। इसीलिए जो कुछ परमेश्वर ने हमें दिया है उसके लिए परमेश्वर का धन्यवाद करें और जो कुछ परमेश्वर ने हमें नहीं भी दिया उसके लिए भी परमेश्वर का धन्यवाद करें।
           कुछ चीजें उसने हमें इसलिए नहीं भी क्योंकि अभी हम उन चीजों के योग्य नहीं हैं इसीलिए हम अपने आप को प्रार्थना के द्वारा और अपने आपको परमेश्वर के अधीन करके उन चीजों के योग बन सकते हैं।
              और जब हम उन चीजों के योग बन गए तो वह चीजें हमारे खाते में जुड़ जाएंगी।
             इसीलिए उन सभी चीजों का जो आपके पास है या नहीं है हमेशा धन्यवाद करें।

         उन सभी लोगों का धन्यवाद करें जिन्होंने आपको कुछ भी सिखाया है चाहे वह सही हो या गलत। क्योंकि सही लोगों के लिए तो धन्यवाद करना ही है पर जिन्होंने आप को कुछ भी गलत सिखाया या कहा उनके लिए भी धन्यवाद करें क्योंकि अगर वह हमारी जिंदगी में नहीं होते तो हम सही और गलत को पहचान नहीं पाते।
                 अगर कोई इंसान आपके अंदर गलती निकालता है तो परेशान मत हो और उस पर गुस्सा मत करो। इस बात के लिए धन्यवाद करो की जो उस इंसान ने आपकी कमी को आपसे रूबरू करवाया है ताकि आप उसे निकाल सकें। इसीलिए जो आपके अंदर कमी निकालते हैं उनके लिए भी धन्यवाद करें।

            अपनी मां बाप भाई बहन दोस्तों रिश्तेदारों आस-पड़ोस के लोगों के लिए भी धन्यवाद करें। जिन्होंने मुश्किल से मुश्किल समय में आपकी मदद की उन सभी लोगों का धन्यवाद करें। 

        धन्यवाद के ऊपर कुछ नहीं है। सबसे बड़ा और शक्तिशाली एहसास धन्यवाद में है। इसलिए हमेशा धन्यवाद से अपनी प्रार्थना को शुरू करें।

         आपके पास आपके शरीर के सभी अंग सुरक्षित हैं उनके लिए धन्यवाद करें।
         आपकी जिंदगी को बदलने के लिए परमेश्वर का धन्यवाद करें।
          आपको सफलता दिलाने के लिए परमेश्वर का धन्यवाद करें।

        चाहे किसी इंसान को एक हजार चीजों की जरूरत हो जब उसे 999 चीजें मिल जाए लेकिन तब भी वह वह बची हुई एक चीज के पीछे भागता है। बल्कि उसे चाहिए कि जो उसको मिला है उसके लिए धन्यवाद करें।



प्रार्थना के लाभ - What are the Benefits of Prayer



1. प्रार्थना हमारे दिल को एक सकारात्मक एहसास से भर देती है और हमें पूरे दिन के लिए चार्ज करती है।
             प्रार्थना हमको प्रेरणा देती है और हमारे मन और दिल को शुद्ध करती है।

2. प्रार्थना करने से आपका विश्वास बढ़ जाता है और वह चीज आपको जरूर मिलती है चाहे वह कोई इंसान ही हो।

3. प्रार्थना आपके विश्वास को और आपकी उम्मीदों को जागृत करती है।

4. प्रार्थना आपके अंदर आत्मविश्वास को और संयम को बढ़ाती है जिससे कि आप अपने आप को नियंत्रण कर सकते हैं।

5. प्रार्थना एक इंसान का रिश्ता परमेश्वर के साथ जोड़ती है। जब हमारा रिश्ता परमेश्वर से जुड़ता है तब परमेश्वर हमारे अंदर के सभी बंद हुए दरवाजों को खोलता है।

6. प्रार्थना हमारे अंदर से बोझ को और चिंता को दूर करती है।

7. प्रार्थना हमारे दर्द से हमको चंगाई देती हैं।

8. प्रार्थना हमारे जख्मों को चंगा करती है और संपूर्ण विश्वास वाली प्रार्थना हमारे लिए बहुत बड़े बड़े चमत्कार पैदा करती।

9. प्रार्थना हमारी जिंदगी को बढ़ाती है मतलब की प्रार्थना हमारी उम्र को भी बढ़ा सकती है अगर परमेश्वर की मर्जी हो तो।

10. प्रार्थना हमारे Subconscious Mind को बदलती है और हमारा Subconscious Mind बदलने से हमारी जिंदगी बदल जाती है।

   धन्यवाद।। मैं आज करता हूं और मुझे पूरा विश्वास है कि आप इन बातों से अपने आप को और अपनी जिंदगी को जरूर बदल लोगे। और अगर आपने प्रार्थना करनी शुरू नहीं की है तो आप आज से ही प्रार्थना भी करनी शुरू कर दोगे। जब आप प्रार्थना के लाभ और चमत्कारों को अपनी जिंदगी में होता हुए देखेंगे तो आप भी हमारी तरह दूसरों को प्रार्थना करने के बारे में बताओगे और अपनी जिंदगी को और दूसरों की जिंदगी को सफल बनाओगे।

                   धन्यवाद।। धन्यवाद।।


    

         

        









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