Powerful Bible Verses Daily Bible Hindi । शक्ति देने वाली बाइबल की बातें



बाइबल की वह बातें जो अब हमारे दिल में है वह हमेशा ही हमें शक्ति और प्रेरणा देती हैं। और हमें कुछ नया करने के लिए प्रेरित करती हैं। बाइबल के इन महत्वपूर्ण और शक्तिशाली वचनों ने मेरे दिल को पूरी गहराई से छुआ है और आपको भी चंगा करेंगे।

        इसलिए इन वचनों को महत्वपूर्ण जानते हुए अपने मन में और अपने दिल में और हमेशा अपनी जिंदगी में लागू करें। ताकि आप हमेशा परमेश्वर के साथ जुड़े रहे और परमेश्वर आपको अपनी शरण में रखे।

         बाइबल के यह वचन आपको अंदर से मजबूत बनाएंगे। क्योंकि जब हम बाहर से मोटिवेट होते हैं या हम सिर्फ दूसरों की बातों से ही मोटिवेट होते हैं तो वह मोटिवेशन बहुत थोड़े समय के लिए ही होता है और हम दोबारा फिर से नकारात्मक महसूस करते हैं।

        पर लेकिन हमेशा मोटिवेशन में रहने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है अपने अंदर से प्रेरित होना। आपको अपने अंदर से मजबूत बनना पड़ेगा तभी आप अपनी जिंदगी में किसी भी चीज पर फोकस कर पाओगे।

       इसलिए कुछ भी आपके लिए मुश्किल नहीं है और कुछ भी ऐसा नहीं है जो हम ना कर सके। इसलिए जो परमेश्वर हमारे साथ है और हम सब कुछ कर सकते हैं इसलिए हमें डरने की जरूरत नहीं है।


Powerful Bible Verses Hindi
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बाइबल के शक्तिशाली वचन

         

तो आइए अब हम ऐसे ही परमेश्वर के बाइबिल में से लिखे हुए वचनों को विस्तृत तरीके से पड़ेंगे और जानेंगे कि परमेश्वर ने इन्हें क्यों लिखा है और इनका अर्थ क्या हो सकता है।

       तो अब हम एक-एक करके उन वचनों को जानते हैं और उनके अर्थ समझने की कोशिश करते हैं तो उम्मीद है आप इन्हें जरूर पढ़ें।





1. भजन संहिता 28: 7 - यहोवा मेरा बल और मेरी ढाल है मेरे मन ने उस पर भरोसा रखा है और मेरी सहायता हुई है। इसलिए मेरा मन हमेशा मौज मानता है।


          वह परमेश्वर ही है जो सिर्फ और सिर्फ हमारा खुदा है और वह एक ही है। जब हम गिरते हैं जब हम मुश्किल और परेशानियों में पढ़ते हैं तब परमेश्वर ही हमें सहारा देता है और दुखों परेशानियों से सुनाता है।

       वही हमको बल देता है और वही हमारी
ढाल है। वही हमें फोर्स करता है और हमारी सहायता उसी से होती है। क्योंकि उसने कहा है कि जब भी तुम पाप में और बुरे कामों में पढ़ते हो तो जब हम उसे पुकारते हैं तो वही हमें उससे बाहर भी निकलता है।

          मेरी सहायता करने वाला परमेश्वर यहोवा परमेश्वर है। वही हमारी सहायता करता है चाहे वह किसी इंसान के रूप में हो या किसी चीज के रूप में जो हमारी ज़रूरत को पूरा करती है। 

       इन्हीं बातों के कारण हमारा मन हमेशा परमेश्वर में लीन रहता है। हमारे मन में सिर्फ परमेश्वर का ही ध्यान रहता है और परमेश्वर के स्वरूप बातें ही हमारे मन में चलती रहती हैं। हमारा मन परमेश्वर में सुख खोजता है और मौज मांनता है।





2. भजन संहिता 91: 15- वह मुझको पुकारे गा और मैं उसको उत्तर दूंगा, हर एक मुश्किल और परेशानी में मैं उसके साथ हूंगा।



           यह हमारी जिंदगी का सबसे बड़ा सच है और यह सबसे बड़ा कानून है जिससे हम कुदरत का कानून भी समझते हैं। जो हम मांगते हैं हमें मिलता है, जिसके लिए हम खटखट आते हैं वह हमारे लिए खुलता है।

        इसलिए परमेश्वर कहता है कि जब हम उसको पुकारेंगे जब हम उसको पुकारते हैं तो वह जरूर और अवश्य ही हमको उत्तर देता है। आरजे परमेश्वर का वायदा है हमारे साथ कि वह हमें जरूर उत्तर दे देगा। 

       चाहे वह उत्तर किसी इंसान के जरिए हो या किसी ऐसी चीज के जरिए जो हमें हमारे उत्तर का परिणाम दिखाती है। 

         परमेश्वर ने कहा है कि जब हम दुखों और परेशानियों में पड़ जाते हैं तब वह परमेश्वर ही हमें संभालता है हमें सुख और शांति बखशता है।

        उसकी कृपा से ही हम आज इस मुकाम तक पहुंचे हैं और हमें यकीन है कि हम बहुत आगे जाएंगे। जितना हम परमेश्वर के ऊपर विश्वास करेंगे और जितना हम अपने आप को ढीला छोड़ेंगे। परमेश्वर उतना ही हमारे विश्वास को मजबूत करेगा और उतना ही हमें ऊंचे स्थानों पर लेकर जाएगा।

        इसलिए आपके मन में विश्वास होना चाहिए कि मैं अगर यह सोच रहा हूं तू मेरे अंदर ताकत भी है कि मैं उसको कर सकता हूं और मैं यह बन सकता हूं।




3. नीति वचन 4: 23- सबसे अधिक अपने मन की रक्षा कर क्योंकि जिंदगी का मूल स्रोत तुम्हारा मन ही है




यह हमारे जीवन की अटल सच्चाई है कि हमारी जिंदगी का सबसे बड़ा और सबसे महत्वपूर्ण चीज हमारा मन ही है। परमेश्वर ही हमारे मन में वास करता है और शैतान भी हमें हमारे इसी मन से भटकाता है।

        हमारा मन ही हमारे जीवन में सबसे बड़ी चीज है। हम सब इंसान प्राणी और सब प्रकार के जीव जंतु और पशु पक्षी सब एक ही हैं। पर लेकिन मनुष्य के अंदर सिर्फ एक मन ही है जो हमें बाकी सभी प्रकार के जीव जंतुओं से अलग करता है।

       क्योंकि हम अपने मन से कुछ भी सोच सकते हैं चाहे वह हमारे यहां पिछला हो या हमारा वर्तमान काल का हो या आने वाले समय में हो। पर लेकिन अन्य जीव-जंतु एक मनुष्य की तरह नहीं सोच सकते।

        इसलिए परमेश्वर ने हमें अपने मन को सबसे ज्यादा सुरक्षित रखने के लिए यह हुक्म दिया है और यह हमारे लिए वाक्य बोला है। ताकि हम सबसे अधिक अपने मन पर काम कर सकें।

         जितना ज्यादा आप अपने मन पर काम करोगे जितना ज्यादा आप अपने आप पर काम करोगे उतना ही आपको आपका मन लाभ देगा। इसलिए अपने मन की रक्षा पूरे तरीके से करनी चाहिए। 

          मन की रक्षा करना मतलब अपने मन को दुष्टता और नकारात्मक सोच से बाहर निकालना। जब से हम पैदा हुए हैं या जबसे हमें सभी चीजों की समझ आई है तब से हमने बहुत सारी ऐसी नकारात्मक धारणा है अपने समाज में से या अपने परिवार में से ग्रहण कर ली है।

         जिन्हें हमें नहीं करनी चाहिए पर लेकिन हमको यह नहीं पता है कि यह हमारे लिए सही है क्या गलत है। हमारे परिवार वालों ने जो कुछ भी हमें सिखाया उनमें से सबसे अधिक हमने नकारात्मक ही सीखा है।

         क्योंकि बहुत लोगों की सोच नकारात्मक ही होती है और जब वह बोलते हैं तो उनके मुंह से नकारात्मक चीजें ही निकलती हैं जो हम भी ग्रहण कर लेते हैं।

          इसलिए अपने मन को प्रभु में दृढ़ता से मजबूत करें । अपने मन को कभी भी ढीला ना पढ़ने दें। हमेशा अपने आप को अंदर से मजबूत रखें क्योंकि जब आप अंदर से मजबूत और मोटिवेट होंगे तब आपक अंदरूनी पोटेंशियल बाहर निकल कर आएगा।

         हमारे अवचेतन मन ने ही हमें आज तक बनाए रखा है क्योंकि हमारे जिंदगी की लगभग 95% बातें या चीजें या काम हमारे अवचेतन मन से ही संचालित होते हैं। और बाकी 5% हमारा चेतन मन हमारे मन की रक्षा करने के लिए बल्कि हमारे अवचेतन मन की रक्षा करने के लिए उसके बाहर खड़ा है।

         इसलिए जो इंसान अपने आप को नहीं बदल सका वह जिंदगी में कुछ भी नहीं बदल सकता। इसलिए अगर आप दुनिया बदलना चाहते हो तो सबसे पहले अपने आप को बदलना पड़ेगा। 

           कोई इंसान जन्म से ही सकारात्मक सोच वाला पैदा नहीं होता उसको बहुत सारी नकारात्मक  चीजें घेर ही लेती हैं। इसलिए आप जितना अपने आप को पॉजिटिव रखने की कोशिश करोगे आप की जिंदगी भी उतनी ही पॉजिटिविटी में बढ़ती जाएगी।










4. नीति वचन [5: 7-8] - हे मेरे पुत्र तू मेरी बातों को सुन मेरे वचनों पर कान लगा और उन दुष्ट लोगों से अपना रास्ता दूर रख। उस पराई स्त्री के घर के पास भी मत जा




     परमेश्वर हमें सिखाता है कि हमें दुष्ट और शैतानी लोगों की बातों को छोड़कर मेरी बातों पर यानी परमेश्वर की बातों पर काश लगाना है।

        जब आप परमेश्वर की बातों को सुनोगे और समझोगे तब आपका मन जानू आपका अवचेतन मन उसकी बातों से बढ़ेगा और जब आपका अवचेतन मन परमेश्वर के वचनों से भर गया तो कोई ऐसी शैतानी ताकत नहीं है जो आपको परमेश्वर में बढ़ने से या अपने करियर में आगे बढ़ने से रोक सके।

        क्योंकि परमेश्वर का हाथ जिस इंसान पर आ जाता है तो परमेश्वर उसको बदलकर ही रखता है जैसे उसने मेरे हृदय को और मेरी सोच को और मेरे अवचेतन मन को बदल दिया।

         परमेश्वर ने मुझे बहुत ही स्पष्ट रूप से अपनी शरण में बिठाकर मुझे सिखाया जो मैं आप को भी सिखा रहा हूं और मैं आपसे भी साझा कर रहा हूं। उसने मुझे अपने वचन की और कान लगाने को कहा जिससे कि मैंने अपनी जिंदगी में बहुत जलाल पाया है।

          परमेश्वर हमें दुष्ट लोगों से और उनके रास्तों पर चलने से रोकता है और वह कहता है कि तुम उनके रास्तों को छोड़ कर मेरे बनाए हुए रास्तों पर चले। 

         परमेश्वर के बनाए हुए रास्ते उसके कानून और उसके हुकुम है जो उसने हम सभी को मानने के लिए दिए हैं। 

        परमेश्वर कहता है कि तुम किसी पराई स्त्री को अपनी मत बनाना जब तक की तुम्हारी शादी ना हो जाए। तुम किसी पराई स्त्री को अपने गले ना लगाना। क्योंकि वह तुम्हारे लिए पाप का कारण बन सकती है और तुम उसकी कामना में आकर अपने परमेश्वर को गिरा सकते हो।

        इसलिए परमेश्वर हमें कहता है कि तुम किसी स्त्री की तरफ जाने की बात तो दूर तुम उसके घर के आस-पास भी मत जाना और अपने रास्तों को उस दुष्ट स्त्री से जो गलत काम ना से और गंदे विचारों से या अपने शरीर के अंग प्रदर्शन से तुम को आकर्षित करती है तुम उससे हमेशा दूर रहना।


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5. नीति वचन 6:6 - हे आलसी तू चींटी के पास जा उसको देख और सीख, जिसका कोई हाकम नहीं है, वह गर्मी में अपना खाना जोड़ती है, हे आलसी तू कब तक सोया रहेगा ऐसा करने से गरीबी और तंगी तुम्हारे ऊपर आ पड़ेगी




    यह बाइबल का बहुत ही महत्वपूर्ण और बहुत ही मोटिवेट करने वाला वचन है जो हमें बहुत कुछ सिखाता है और हमें अंदर से प्रेरित करता है।

        परमेश्वर ने यह वचन एक मनुष्य के लिए कहा है जो मनुष्य हारने से डरता है लेकिन वह अभी हारा भी नहीं है या उसने अभी तक शुरुआत भी नहीं की है।

         अगर आप भी अभी तक हारने से डरते हो यहां अपनी गरीबी यात्रियों के वजह से बहाने बनाकर अभी तक सोए हुए हो तो आप आलसी हो आलसी हो और आप गरीब हो।

        क्या आपको पता है कि एक अमीर और एक गरीब के बीच कितना अंतर होता है। तो आओ अब मैं आपको बताता हूं कि एक अमीर और एक गरीब क्या होता है और इस में क्या अंतर होता है जो हमें इस वचन से पता चलता है।

        बाइबल के अनुसार एक गरीब आदमी वह नहीं जिसके पास पैसे नहीं है या जिसके पास पैसे की कमी है। गरीब आदमी वह नहीं जो बहुत मेहनत करने के बावजूद भी गरीब रहता है। बाइबल के अनुसार असली गरीब में है जो आलसी है, हां सचमुच जो आलसी है।

          जो हमेशा कामों को डालता रहता है या जो हमेशा ही बहाने बनाता है कि मेरे पास सेव नहीं है मेरे पास वह नहीं है या मैं यह नहीं खरीद सकता जहां मैं यह नहीं कर सकता जा मैं अभी इसके काबिल नहीं हूं यही बातें हैं जो एक आलसी इंसान को गरीब बनाती हैं।

        बाइबल के अनुसार असली अमीर आदमी वह नहीं जिसके पास बहुत धन दौलत है या जिसके पास इतने पैसे हैं कि वह कुछ भी कर सकता है। बाइबल के अनुसार असली अमीर वह है जो मेहनती है और जिसका दिल परमेश्वर में आनंद लेता है। जो दिल का और मेहनत का अमीर है वही परमेश्वर के लिए सबसे अमीर है।

        जो अपनी सोच को छोटी नहीं बल्कि अपनी सोच को हमेशा बड़ी रखता है वहीं परमेश्वर के लिए सबसे अमीर है। जिसकी सोच बहुत बड़ी है और जो सोचता है उस सिर्फ सोचता ही नहीं बल्कि उसको करता भी है वह परमेश्वर के लिए अमीर है।

       और अब आप खुद ही जान लो कि आपको क्या बनना है गरीब बना है यानी आलसी बनना है या अमीर बनना है यानी मेहनती बनना है और हमेशा मेहनत करनी है।

       हम अपनी घटिया सोच और छोटी सोच के साथ समाज में बताए हुए धारणाओं जैसे गरीब रहना चाहिए या अमीर नहीं बनना चाहिए कि अमीर लोग बेवफा हो जाते हैं या वह मतलबी हो जाते हैं। पर लेकिन जो असली में अमीर हैं वह ऐसे बिल्कुल नहीं होते वह हमेशा दूसरों के भले के लिए ही उनकी सेवा में लगी होती हैं और जो लोग ही उनको अमीर बनाते हैं।

          इसलिए अगर आपको भी अमीर बनना है और अमीरों वाली सोच रखनी है तो अपनी सोच को छोटी सोच से निकालकर बड़ा करना पड़ेगा और लोगों की मुश्किलों को सुलझाने वाली सोच अपने अंदर पैदा करनी होगी।

       आप जितना लोगों के लिए काम करोगे यानी जितना आप परमेश्वर के लोगों के लिए काम करोगे या परमेश्वर के वचन को फेल आओगे वह लोग और परमेश्वर आपको उतना ही आगे बढ़ाएगा और आपकी कृपा कभी खत्म नहीं होगी।

       गरीब आदमी को कोई नहीं पहचानता बल्कि अमीर आदमी के मर जाने के बाद भी उसे लोग याद रखते हैं यह इसीलिए होता है कि अमीर आदमी ने किसी ना किसी की प्रॉब्लम को सॉल्व किया है या उसने परमेश्वर के लिए कुछ ऐसा किया है या उसके लोगों के लिए कुछ ऐसा किया है जो उनके लिए बहुत ही लाभदायक है।

        इसलिए परमेश्वर हमें एक चींटी कि उदाहरण से समझाते हैं और हमें कहते हैं कि वह जैसी मेहनत करती है तुम भी वैसे ही मेहनत करो वह जैसे गर्मी के समय में अपने खाने पीने के सामान को इकट्ठा करती है वैसे ही हमें भी जो बीजना है उसी को ही काटना है।

         परमेश्वर कहते हैं कि यह आलसी तू कब तक सोता रहेगा। रतीकु नींद तुम्हारे ऊपर गरीबी और तंगी को लेकर आएगी और तुम हमेशा गरीबी में ही रह जाओगे।

        इसलिए हमने सीखा कि गरीबी से निकलने का सिर्फ एक तरीका अपनी गरीबी वाली सोच या अपनी छोटी सोच को अमीरी वाली सोच या बड़ी सोच में तब्दील कर लो तब बस आपका काम हो गया।


तू उम्मीद करता हूं कि आपको परमेश्वर के वचन में से बताए हुए यह शब्द और वचन जरूर समझ आए होंगे। और आप जरूर अपने आप को बदलो गे। जब आप अपनी गरीबी वाली सोच को यहां छोटी सोच को बदलो गे जो सिर्फ नीचे तक ही सीमित है। तब वह सोच आपकी और मेरी वाली बनेगी। और आप असल में अमीरी मतलब मेहनत के फल को प्राप्त करोगे।


     आमीन।। आमीन।।





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